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*अहमदाबाद प्लेन हादसे की असली सच्चाई सामने आई, छोटे से पुर्जे ने ले ली यात्रियों की जन

*अहमदाबाद प्लेन हादसे की असली सच्चाई सामने आई, छोटे से पुर्जे ने ले ली यात्रियों की जन*

 

लंदन गैटविक के लिए रवाना हुई फ्लाइट 171, सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 13:39 बजे (IST) उड़ान भरी। इस ड्रीमलाइनर विमान में कुल 230 यात्री, 12 क्रू सदस्य, और लगभग 100 टन ईंधन था। विमान का पंजीकरण नंबर VT-ANP था। कमान संभाल रहे थे कैप्टन सुमीत सभरवाल, जिनके पास 12,000 घंटे की उड़ान का अनुभव था, और सह-पायलट क्लाइव कुंदर, जिनके पास 4,500 घंटे का अनुभव था।

 

टेकऑफ़ के तुरंत बाद उड़ान भरने के 18 सेकंड के भीतर, विमान 650 फीट (लगभग 65 मीटर) की ऊंचाई तक पहुंच गया था। तभी त्रासदी घट गई।

 

CVR (Cockpit Voice Recorder) के अनुसार:

 

कैप्टन की सीट से धातु के टूटने जैसी “क्लिक” की आवाज़ आई। दरअसल, यह आवाज़ एक $15 (करीब ₹1,200) की पिन के टूटने की थी, जो सीट की रेल को सुरक्षित रखती थी। यह पिन 1 जून 2025 को मरम्मत के दौरान बदली गई थी, लेकिन उसकी दोबारा जांच नहीं की गई।

 

जैसे ही सीट अचानक पीछे सरकी, कैप्टन सभरवाल चौंक गए और स्वतः प्रतिक्रिया में थ्रॉटल लीवर (throttle levers) को पकड़ लिया, जिससे वे अधिकतम टेकऑफ़ पावर से हटकर “आइडल” पर आ गए। इससे दोनों GEnx-1B इंजन की ताकत अचानक बंद हो गई।

 

18वें सेकंड पर:

 

सह-पायलट कुंदर ने चिल्लाकर कहा: “थ्रस्ट जा रहा है!”

 

20वें सेकंड पर:

 

कैप्टन बोले: “मेरी सीट!”

 

26वें सेकंड तक:

 

दोनों इंजन पूरी तरह बंद हो गए, और इतनी कम ऊंचाई पर विमान स्टॉल हो गया। पायलटों ने मेडे कॉल भेजा, लेकिन विमान को बचाने के लिए सिर्फ 12 सेकंड बाकी थे।

 

38वें सेकंड पर:

 

विमान अहमदाबाद स्थित B.J. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल ब्लॉक से टकरा गया और भीषण विस्फोट में बदल गया।

 

इकलौता जीवित यात्री

 

विवशकुमार रमेश, 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक, जो सीट 11A पर बैठे थे, एक फटी हुई जगह से बाहर निकलने में सफल रहे। उन्हें गंभीर जलन हुई लेकिन वे हादसे में जीवित बचे।

 

 

जांच और निष्कर्ष

 

ब्लैक बॉक्स (FDR और CVR) 13 और 16 जून को बरामद किए गए। भारत की AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau), अमेरिका की NTSB, UK की AAIB, Boeing, और GE Aerospace ने मिलकर विश्लेषण किया।

 

FDR के मुताबिक:

• दोनों इंजन पूरी तरह सामान्य स्थिति में कार्य कर रहे थे जब तक कि थ्रॉटल को “आइडल” पर नहीं डाला गया।

• FADEC सिस्टम और फ्लैप्स की स्थिति भी सामान्य पाई गई।

• विमान के क्रैश के ठीक पहले RAT (Ram Air Turbine) सक्रिय हो गया था, जो यह साबित करता है कि इंजन की ताकत पूरी तरह खत्म हो चुकी थी।

 

मुख्य कारण:

 

$15 की एक पिन, जिसकी मरम्मत के बाद दोबारा जांच नहीं की गई। यह Air India के रख-रखाव प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन था।

 

 

प्रतिक्रिया

 

पूर्व AAIB अधिकारी किशोर चिंता बोले:

 

“$15 के पुर्जे ने $200 मिलियन के विमान को गिरा दिया और 270 लोगों की जान चली गई। यह पूरी एयरलाइन इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी है।”

 

कैप्टन आयशा पटेल (Boeing 787 प्रशिक्षक) ने कहा:

 

“कैप्टन की प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी, लेकिन 650 फीट की ऊंचाई पर कोई गलती नहीं चलती। ऐसे उपकरण बनाए जाने चाहिए जो तनाव की स्थिति में भी सुरक्षा बनाए रखें।”

 

उदाहरण के तौर पर, 1988 में Aloha Airlines Flight 243 की घटना याद दिलाई गई, जहां एक छोटी सी मरम्मत की चूक से मिड-एयर डीकंप्रेशन हुआ था।

 

 

सरकारी व एयरलाइन कार्रवाई

• DGCA (भारत का नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने Air India के सभी 33 Boeing 787 विमानों की जांच के आदेश दिए।

• 19 जून 2025 तक, 26 विमान जांच में पास हुए, लेकिन 66 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।

• सभी भारतीय एयरलाइनों के लिए रखरखाव की समीक्षा और सख्त ऑडिट अनिवार्य किए गए।

 

DGCA प्रमुख विक्रम देव ने कहा:

 

“अब हर पिन और बोल्ट को भी क्रिटिकल पार्ट मानना होगा।”

 

 

वैश्विक प्रभाव

• FAA (अमेरिका) और EASA (यूरोपीय संघ) जैसे अंतरराष्ट्रीय नियामक भी इस हादसे की जांच पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

• Boeing, हालांकि सीधे दोषी नहीं है, लेकिन उसके कॉम्पोनेंट डिज़ाइन की जांच हो रही है।

• GE Aerospace ने पुष्टि की कि इंजन में कोई तकनीकी खराबी नहीं थी।

 

Boeing के CEO केली ऑर्टबर्ग ने बयान जारी किया:

 

“हम जांचकर्ताओं के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं ताकि ऐसा दोबारा कभी न हो।”

 

 

निष्कर्ष:

 

यह हादसा दिखाता है कि छोटे से छोटा पुर्जा, यदि अनदेखा किया जाए, तो विनाशकारी साबित हो सकता है। फ्लाइट 171 की त्रासदी एक गहरी सीख है – हवा में उड़ने वाले हर विमान में हर स्क्रू, हर पिन महत्वपूर्ण होता है।

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